कोरोना वायरस की दहशत / इतिहास में पहली बार नवसंवत्सर और चैत्र नवरात्र के मौके पर शक्ति पीठों में सन्नाटा, कर्फ्यू और लॉक डाउन से घरों में कैद हुए लोग

आज से नवसंवत्सर 2077 व चैत्र नवरात्र प्रारंभ हो गए हैं। वहीं गुड़ी पड़वा और चैतीचांद का उत्सव भी मनाया जा रहा है। लेकिन भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब इस मौके पर कहीं रौनक नहीं है। मंदिरों से गूंजने वाले मंत्रों के स्वर सुनाई नहीं दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और चार शहरों में लगे कर्फ्यू और बाकी जिलों में टोटल लॉक डाउन के चलते लोग घरों में ही त्योहार मना रहे हैं। मन में एक डर के साथ लोग ये कामना कर रहे हैं कि मातारानी जल्द ही इस विपदा से हमें बचा लेंगी। 


कोराना वायरस ने इस उत्सवी माहौल को समाप्त कर दिया है। मंदिरों में कई महीने पहले से बड़े अनुष्ठान करने की तैयारी की जा रही थी। जिसे ऐनवक्त पर निरस्त कर दिया गया है। महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले भजन के कार्यक्रम, चुनरी यात्राएं निरस्त कर दी गई हैं। प्रदेश के सभी शक्तिपीठों में सन्नाटा पसरा हुआ है। सलकनपुर में विजयासन माता, दतिया में पीताम्बारा पीठ, सतना में मैहर और देवास में शक्तिपीठ पर हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए लॉक डाउन के चलते सतना, सलकनपुर, दतिया आदि शक्ति पीठों में चैत्र नवरात्रि के पहले भक्तों से सूना रहा। यहां आज हजारों लोग पहुंचते हैं। यहां कई दिन पहले ही मंदिर प्रबंधन द्वारा नवरात्र के दौरान मंदिर नहीं आने की अपी की गई थी। इसका असर भी आज देखने को मिल रहा है।



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